महात्मा गांधी पर निबंध
हम महात्मा गांधी पर निबंध के अंतर्गत महात्मा गांधी जी के जीवन में विभिन्न पहलुओं और कार्यों पर विस्तृत चर्चा करने वाले हैं, ताकि महात्मा गांधी पर निबंध पढ़ने वाले व्यक्ति को उनके जीवन के हर एक पहलू के विषय में जानकारी प्राप्त हो उनके द्वारा किए गए कार्यों को वह जाने.
आइए महात्मा गांधी पर निबंध जीवन परिचय से शुरू करते हैं.
Contents
- 1 महात्मा गांधी पर निबंध : परिचय
- 2 प्रारंभिक जीवन और प्रभाव
- 3 शिक्षा और दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा
- 4 सत्याग्रह का जन्म
- 5 भारतीय स्वतंत्रता की हिमायत
- 6 नमक मार्च और सविनय अवज्ञा
- 7 गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविन समझौता
- 8 भारत छोड़ो आंदोलन और कारावास
- 9 विभाजन और स्वतंत्रता
- 10 देश के प्रति निष्ठा पर प्रश्न
- 11 हत्या और विरासत
- 12 निष्कर्ष
महात्मा गांधी पर निबंध : परिचय
महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, एक असाधारण नेता और राजनीतिक व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलन के बल पर उन्होंने पूरी दुनिया को प्रभावित किया.
महात्मा गांधी को अघोषित रूप से देश का राष्ट्रपिता कहा जाता है. यह उपाधि उन्हें भारत की जनता ने प्रेम से दी है.
अपने पूरे जीवन में, गांधी अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहे, जिससे भारत को आजादी मिली और शांति, समानता और सामाजिक न्याय की एक स्थायी विरासत छोड़ी.
प्रारंभिक जीवन और प्रभाव
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के वर्तमान गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर में हुआ था. वह एक अच्छे परिवार से थे और उनके पिता शहर के दीवान (मुख्यमंत्री) के रूप में कार्यरत थे. छोटी उम्र से ही गांधीजी ने जिज्ञासु और विचारशील स्वभाव के थे.
वह अपनी मां की शिक्षाओं और जैन दर्शन से प्रभावित थे, जिसमें अहिंसा, करुणा और आत्म-अनुशासन उनके अंदर कूट-कूट कर भरा था.

शिक्षा और दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा
गांधीजी ने लंदन में कानून की उच्च शिक्षा प्राप्त की और 1891 में भारत लौट आए. वह पेशे से एक वकील थे और उन्हें अपने पेशे में सफलता प्राप्त करने के लिए जीवन के प्रारंभिक समय में काफी संघर्ष करना पड़ा.
भारत में जब उनकी वकालत नहीं चली तो उन्होंने 1893 में, दक्षिण अफ्रीका का रुख किया. वहां उन्होंने एक वकील के रूप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया था.
एक वकील की हैसियत से उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में महसूस किया कि उनके साथ और उनके जैसे दूसरे लोगों के साथ नस्लीय भेदभाव चरम सीमा पर है.
इस प्रकार की नस्लीय भेदभाव से उन्हें काफी आधात पहुंचा और उन्होंने इसके खिलाफ लड़ने का फैसला लिया, और वे नागरिक अधिकारों तथा सभी लोगों के साथ समान व्यवहार के कट्टर समर्थक बन गये.
सत्याग्रह का जन्म
दक्षिण अफ़्रीका में ही गांधीजी ने अपना सत्याग्रह सिद्धांत प्रतिपादित किया, जिसका अर्थ है “सत्य-बल” अर्थात “आत्मा-बल”.
उनकी इस अवधारणा के अंदर निष्क्रिय प्रतिरोध, सविनय अवज्ञा और अन्याय के प्रति विरोध और उत्पीड़न के खिलाफ चुनौती पेश की.
शांति के साथ आंदोलन करने पर उन्हें बड़ा भारी समर्थन प्राप्त हुआ और नस्लीय भेदभाव करने वाले लोग उनके खिलाफ कार्यवाही भी नहीं कर पाते थे.
गांधी का मानना था कि अहिंसक आंदोलनके माध्यम से, व्यक्ति समाज को बदल सकते हैं और परस्पर विरोधी दलों के बीच सहानुभूति और समझ को बढ़ावा दे सकते हैं.
वह हिंसा के एकदम खिलाफ थे. अहिंसक आंदोलन से उन्हें जनता का जबरदस्त समर्थन प्राप्त हुआ. साधारण व्यक्ति भी आंदोलन में भाग ले सकता था.
भारतीय स्वतंत्रता की हिमायत
1915 में गांधी भारत लौट आए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरे. उन्होंने किसानों, मजदूरों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी पहली बड़ी भागीदारी असहयोग आंदोलन (1920-1922) के साथ हुई, जहां उन्होंने भारतीयों से ब्रिटिश संस्थानों और उत्पादों का बहिष्कार करने का आग्रह किया.
प्रारंभिक सफलता के बावजूद, चौरी चौरा में भड़की हिंसा के कारण आंदोलन स्थगित कर दिया गया.
नमक मार्च और सविनय अवज्ञा
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रतिष्ठित घटनाओं में से एक 1930 में नमक मार्च था. भारत के अंदर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन में दांडी यात्रा का प्रमुख स्थान है. दांडी यात्रा के दौरान गांधीजी ने अंग्रेजो के द्वारा प्रतिपादित नमक कानून का विरोध किया था और उसे तोड़ा था.
ब्रिटिश द्वारा लगाए गए नमक कर के विरोध में, गांधी और उनके अनुयायियों के एक समूह ने साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील से अधिक की यात्रा की, जहां उन्होंने समुद्री जल से अपने आप नमक बनाया और कानून तोड़ा.
कानून की अवहेलना. सविनय अवज्ञा के इस कार्य ने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया और भारतीय स्वतंत्रता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया और अपनी बात रखी.
गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविन समझौता
गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के साथ भारत के भविष्य पर बातचीत करने के लिए लंदन में गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया.
हालाँकि इन सम्मेलनों से शुरू में अच्छे परिणाम नहीं मिले, लेकिन उन्होंने 1931 के गांधी-इरविन समझौते का मार्ग प्रशस्त किया. इस समझौते के कारण राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया गया और गांधी ने 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया.
भारत छोड़ो आंदोलन और कारावास
जैसे ही द्वितीय विश्व युद्ध बढ़ा, गांधी ने भारत में ब्रिटिश शासन को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया. अंग्रेजों ने कड़ी कार्रवाई के साथ जवाब दिया और गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं को कई वर्षों के लिए जेल में डाल दिया गया. इस दौरान वे अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव की वकालत करते रहे.
विभाजन और स्वतंत्रता
वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत को अंततः 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई. हालाँकि, देश को भारत और पाकिस्तान में भी विभाजित किया गया, जिससे व्यापक हिंसा और विस्थापन हुआ. सांप्रदायिक दंगों से बहुत दुखी होकर गांधीजी ने उपवास किया और शांति और एकता को बढ़ावा देने के लिए दंगाग्रस्त क्षेत्रों में पैदल यात्रा की.
देश के प्रति निष्ठा पर प्रश्न
गांधी जी एक महान व्यक्ति थे लेकिन उनके कुछ कार्य को लेकर देश के अंदर उनकी निष्ठा पर प्रश्न हमेशा उठते रहे हैं.
जैसे कि अंग्रेज शासन द्वारा जैसे ही द्वितीय विश्वयुद्ध में विश्वयुद्ध में भाग लिया गया तो उस दौरान आंदोलन और तेज करने के स्थान पर गांधी जी ने आंदोलन को स्थगित कर देशवासियों को उस विश्वयुद्ध में अंग्रेजो की तरफ से लड़ने के लिए प्रेरित किया जो गांधीजी की निष्ठा पर प्रश्न की तरह है.
भारत देश के एक धड़े का यह भी मानना था कि गांधी जी का अहिंसक आंदोलन देश की आजादी में बाधक है. एक प्रकार से गांधीजी देश की स्वतंत्रता को आने में देरी का कारण बन रहे हैं, और अप्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजों का साथ दे रहे हैं.
आजादी के बाद दंगों पर गांधी जी ने विवादित टिप्पणियां की थी जो आज के समय में भी गांधी जी की छवि को धूमिल करती हैं.
गांधी जी पर यह भी आरोप है कि आजादी के बाद हिंदू और मुसलमानों के नाम पर बने 2 देश हिंदुस्तान-पाकिस्तान बनते समय जो दंगे भड़के थे गांधी जी ने मुस्लिम समाज को ही सुरक्षित किया और हिंदू समाज को मरने दिया. हिंदू महिलाओं के बारे में अनर्गल टिप्पणियां की. हालांकि इन बातों का कोई लिखित सबूत नहीं है.
आजादी के बाद पाकिस्तान को करोड़ों रुपए देने की जिद करना इसे देशवासियों ने भारत के प्रति विश्वासघात के रूप में देखा.
गांधी जी पर यह भी आरोप है कि सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं को गांधीजी ने हमेशा गिराने का ही कार्य किया. यह भी माना जाता है कि गांधीजी चाहते तो सरदार भगत सिंह को की पैरवी करते और वह मृत्युदंड से बच सकते थे, लेकिन यहां यह बात समझने वाली है कि गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे.
वर्तमान समय में हम यह नहीं कह सकते कि उस वक्त क्या परिस्थिति थी. इसलिए यह मात्र आरोप हैं, लेकिन गांधी जी द्वारा अपने देश के लिए जो किया गया वह अविस्मरणीय है.
हत्या और विरासत
30 जनवरी, 1948 को, महात्मा गांधी का जीवन दुखद रूप से समाप्त हो गया जब एक नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई.
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी जी की हत्या इसलिए की क्योंकि वह भारत सरकार पर दबाव डाल रहे थे कि वह पाकिस्तान को एक मोटी रकम दे जबकि पाकिस्तान भारत पर आक्रमण की तैयारी कर रहा था और उसकी आज भी यही फितरत है.
लेकिन उससे महात्मा गांधी जी का योगदान कम नहीं हो जाता है उनकी मृत्यु से देश और दुनिया शोक में डूब गई, लेकिन उनकी विरासत कायम रही. सत्य, अहिंसा और सामाजिक न्याय के प्रति गांधी की प्रतिबद्धता दुनिया भर में अनगिनत लोगों और आंदोलनों को प्रेरित करती रहती है.
निष्कर्ष
महात्मा गांधी पर निबंध का निष्कर्ष किस प्रकार से हैं.
महात्मा गांधी का जीवन निस्वार्थता, त्याग और दृढ़ संकल्प की एक असाधारण यात्रा थी. उनके अहिंसा वादी विचार में इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है.
गांधी की विरासत आशा की किरण के रूप में कार्य करती है, जो हमें याद दिलाती है कि शांतिपूर्ण और अहिंसा वादी तरीकों से अक्सर हिंसा और विभाजन से ग्रस्त दुनिया में स्थायी परिवर्तन और बदलाव लाया जा सकता है.
आइए हम उनके आदर्शों को अपनाने का प्रयास करें और अधिक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण माहौल की दिशा में काम करें.
टॉपिक महात्मा गांधी पर निबंध के अंतर्गत हमने महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े हुए हर एक पहलू पर और उनके द्वारा देश के लिए किए गए कार्य पर चर्चा की है. उनके साथ चलने वाले विवादों को भी हमने लिया है. महात्मा गांधी पर निबंध पूर्ण होता है.
महात्मा गांधी पर निबंध के अंतर्गत आप अगर कोई बात रखना चाहते हैं या अपनी कोई सलाह देना चाहते हैं तो आप कमेंट के माध्यम से हम से संपर्क कर सकते हैं.